*”अखिल विश्वस्तरीय पूर्वांचल भोजपुरी समाज”* की संगठनात्मक संरचना, कार्य-प्रकृति, उद्देश्य एवं भविष्य में समाज के द्वारा संचालित किए जाने वाले कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण :
**1. संगठन का नाम -* “अखिल विश्वस्तरीय पूर्वांचल भोजपुरी समाज”
*2. संरचनात्मक स्वरुप* – प्रारंभिक तौर पर 15 भोजपुरी समर्पित राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों की अगुवाई में गठित भोजपुरी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु एक गैर-राजनैतिक एवं विशुद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन।
*3. संगठनात्मक स्वरुप :* भारत के प्रांतीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक संगठन का विस्तार (प्रस्तावित)
*4. वैधानिक स्वरुप :* विधि द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत पंजीकृत
*5. कार्य-प्रकृति :* “अखिल विश्वस्तरीय पूर्वांचल भोजपुरी समाज” की मूल एवं आधारभूत कार्य-प्रकृति भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय आंचलिक भाषा भोजपुरी के सांस्कृतिक गौरव एवं इसकी पारंपरिक पवित्रता और मधुरता को हर हाल में बचाए तथा निरंतर बनाए रखना।
*6. मूल उद्देश्य :*
*(क)* – भोजपुरी भाषा साहित्य एवं संस्कृति से जुड़े बहुमूल्य ऐतिहासिक दस्तावेजों को यथासंभव संकलित कर उन्हें संग्रहित एवं सुरक्षित करना।
*(ख)* – समूचे विश्व भर में फैले भोजपुरी भाषा की पारंपरिक विशुद्धता के प्रति समर्पित सभी साहित्य एवं संस्कृतिकर्मियों की सूची तैयार कर उनके मध्य नियमित संवाद का वातावरण तैयार करना।
*(ग)* – भोजपुरी की पवित्रता पर कुठाराघात कर रहे एवं इसकी विरासत को लगातार विषाक्त बना “बाज़ारु अश्लीलता” को जड़ से ख़त्म करना।
*(घ)* – संविधान की 8वीं अनुसूची में भोजपुरी को प्रबलता से अनुसूचित कराने के लिए परिणामजनित प्रयास।
*(ड़)* – पूर्वांचल क्षेत्र के किसी केन्द्रीय स्थान पर एक समृद्ध स्वायत्त “भोजपुरी अनुसंधान एवं विकास केन्द्र” की स्थापना हेतु प्रमुखता से प्रयास करना।
*(च)* – एक “गंवार एवं अनपढ़ों की भाषा” के तौर पर नई पीढ़ी में नकारात्मक रुप से प्रचलित भोजपुरी की इस अत्यंत दोषपूर्ण अवधारणा को समाप्त कर उनमें भोजपुरी के प्रति चाव पैदा कराने हेतु सम्मिलित प्रयास, आदि।
*7. कार्यक्रम* :
*(क)* . निर्धारित समयावधि के अंतर्गत राज्य एवं राष्ट्रव्यापी भोजपुरी साहित्य-सम्मेलन, कथा एवं काव्य गोष्ठी, संगीत, नृत्य, शिल्प एवं चित्रकारी से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की क्रमबद्ध प्रस्तुति।
*(ख)* . भोजपुरी भाषा एवं इसकी संस्कृति से जुड़े महान ऐतिहासिक अथवा वर्तमान विभूतियों एवं उनकी कालजयी कृतियों पर ऑडियो-विज़ुअल डाॅक्यूड्रामा अथवा वृत्तचित्रों का क्रमवार निर्माण। भोजपुरी क्षेत्र में प्रचलित लोक-कथाओं, रीति-रिवाजों अथवा कतिपय सामाजिक समस्याओं पर साफ़-सुथरी पारिवारिक फ़िल्मों का निर्माण करना।
तथा…
*(ग)* वर्ष में एक बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर *”भोजपुरी-श्रेष्ठ सम्मान* ” का भव्य आयोजन आदि।